बहुत शौक था सबको जोड़े रखने का, होश तब आया जब अपने वजूद के टुकड़े देखे
जब दूसरों को जोड़ते-जोड़ते खुद बिखर जाओ
कुछ लोग होते हैं जो रिश्तों को टूटने नहीं देते —
हर बार खुद को तोड़कर रिश्तों को जोड़ने की कोशिश करते हैं।
पर क्या आपने कभी सोचा है…
जब आप हर बार दूसरों को प्राथमिकता देते हैं, तो सबसे ज़्यादा नुकसान किसका होता है?
आपका खुद का।
यह सिर्फ़ इमोशनल नहीं, साइकोलॉजिकल भी है
मनोविज्ञान के अनुसार:
"Empaths" यानी वे लोग जो दूसरों की तकलीफ़ को ज़्यादा महसूस करते हैं, वे अक्सर अपनी भावनाओं को दबाकर दूसरों को खुश रखने की कोशिश करते हैं।
नतीजा?
-
Emotional burnout
-
Self-worth की कमी
-
Silent depression
-
Personal identity का टूटना
क्या करें?
-
Self-Respect को प्राथमिकता दें
-
Boundaries बनाना सीखें
-
ना कहना सीखें
-
Emotional healing के लिए journaling करें
-
अपनी ज़रूरतों को समझें, उन्हें टालें नहीं
मनोवैज्ञानिक सलाह:
"जो खुद से प्यार नहीं करता, वो दूसरों से सच्चा रिश्ता नहीं निभा सकता।"
आप पहले खुद को संभालें, फिर किसी और को जोड़ने की सोचें।
-
निष्कर्ष:
"कभी-कभी खुद को जोड़ना सबसे बड़ा रिश्ता निभाना होता है।
अपने टुकड़े उठाइए… और खुद को फिर से बनाइए।"


0 टिप्पणियाँ