बुद्धिमान तोता और मुक्ति का रहस्य : motivation story
यह कहानी एक बुद्धिमान तोते की है, जो वर्षों से सेठ जी के पिंजरे में कैद था और आज़ादी चाहता था। जब सेठ जी ने सत्संग में महंत जी से तोते की मुक्ति का उपाय पूछा, तो महंत जी ने जवाब देने के बजाय कुछ ऐसा किया, जिससे पूरा माहौल हैरान रह गया। लेकिन इसी में छिपा था आज़ादी का राज़! सेठ जी समझ नहीं पाए, पर तोते ने उस रहस्य को पकड़ लिया और अपनी सूझबूझ से खुद को मुक्त कर लिया।
क्या आप भी जानना चाहते हैं कि वह रहस्य क्या था? और कैसे तोते ने अपनी आज़ादी हासिल की? पढ़िए यह रोचक और प्रेरणादायक कहानी!
बुद्धिमान तोता और मुक्ति का रहस्य : motivation story
एक सेठ जी के पास एक तोता था । तोते को सेठ जी के पास रहते बहुत ज्यादा दिन हो गये थे । सेठ जी उस तोते को हमेसा पिजड़े मे रखते थे । तोता पिजरे मे रहते रहते परेशान हो गया था । वह उस पिजड़े से आजाद होना चाहता था । सेठ जी की एक नित्य दिन की एक क्रिया थी की वह रोजाना शाम को जब वह अपने दुकान से लौटते थे तब वह सत्संग सुनने के बाद हि घर आते थे । एक सुबह जब सेठ जी सो कर उठे तब तोते ने कहा की सेठ जी क्या आज आप सत्संग सुनने जाएंगे । सेठ जी ने कहा हा जाऊंगा । तोते कहा मेरा एक प्रश्न है आप सत्संग सुनाने वाले महंत जी से पूछियेगा । सेठ जी ने कहा ठीक है पूछ लूंगा । बताओ क्या प्रश्न है । तोते ने कहा उनसे पूछियेगा की मै कब आजाद हो पाऊंगा । सेठ जी हसने लगे बोले ठीक है । मै पूछ लूंगा ।
सेठ जी अपने काम पर चले गये । शाम होते हि सत्संग सुनने के लिए चले गये । सत्संग समाप्त हुआ । सेठ जी अपने तोते का प्रश्न पूछने के लिए महंत जी के पास गये । और बोले की महंत जी मेरे तोते का एक प्रश्न है । इजाजत दे तो पूछू । महंत जी बोले ठीक है पूछो क्या पूछना चाहते हो । सेठ जी बोले मेरे तोते ने पूछा है की मै कब आजाद हो पाऊंगा । महंत जी कुछ सोचते हुए नजर आये । सोचते सोचते बेहोश हो गये । महंत जी के शिष्यों मे हंगामा मच गया की महंत जी बेहोश हो गये । उनके चहरे पर पानी छोड़का गया तब जाके महंत जी को होश आया । होश मे आने के बाद महंत जी बोले की सेठ जी अब आप जाइये घर । आपके प्रश्न का जवाब मै कल दूंगा ।
सेठ जी घर आये । तब तोते ने अपने प्रश्न का उत्तर माँगा तो सेठ जी ने कहा की मेरा प्रश्न सुनते हि महंत जी बेहोश हो गये और बोले है की इस प्रश्न का उत्तर मै कल दूंगा । तोता बोला ठीक है । रात गई । फिर अगली सुबह सेठ जी सो के उठे तो पिजड़े की तरफ नजर गई तो देखा की तोता उल्टा सोया हुआ पढ़ा है । सेठ जी को लगा की मर गया । सेठ जी बहुत दुख हुआ की मेरा तोता मर गया । तोते को देखने के लिए सेठ जी तोते को पिजड़े से बाहर निकालने लगे । तोता मौका पाकर फर से उड़ गया ।
सेठ जी को कुछ भी समझ मे नहीं आया । सेठ जी कुछ समय तक सोचते रहे फिर उसके बाद भोजन करके अपने काम पर चले गये । शाम के सत्संग मे गये । सत्संग के बाद महंत जी से मिले । सेठ जी महंत जी से सारी बाते बता दिये । ऐसे ऐसे हुआ और तोता उड़ गया । मुझे कुछ समझ मे नहीं आया । सेठ जी बोले की आप मेरे तोते का प्रश्न का उत्तर दे दीजिये । इतना सुनकर महंत जी जोर जोर से हसने लगे । और बोले की इतनी सी बात आप नहीं समझ पाए और आपका तोता समझ गया । आपसे ज्यादा बुद्धिमान तो आपका तोता है । कल जब मै बेहोश हुआ था । वह मै सच मे बेहोश नहीं हुआ था । वह तो तोते को आजाद होने का तरीका बताया था । और वहि तोते के प्रश्न का उत्तर भी था । सेठ जी बोले की यह उत्तर आप हमे भी तो बता सकते थे मै जाकर तोते को बता देता । महंत जी बोले यदि मै आपको बताता तो क्या आपका तोता आजाद हो पाता । आप पहले हि तोते के तरकीब को समझ जाते । इसलिए मैने ऐसा किया । सेठ जी अपने ना समझ बुद्धि पर खुद हसने लगे ।
निष्कर्ष:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची आज़ादी केवल बाहरी बंधनों से मुक्त होने में नहीं, बल्कि बुद्धि और समझ के सही उपयोग में है। तोते ने महंत जी के व्यवहार से सबक लिया और अपनी मुक्ति का उपाय खोज लिया, जबकि सेठ जी इसे समझ नहीं पाए। यह दर्शाता है कि कभी-कभी शब्दों से अधिक प्रभावशाली संकेत और अनुभव होते हैं।
कहानी हमें यह भी सिखाती है कि समस्या से बचने की बजाय, उसे समझदारी से हल करने का प्रयास करना चाहिए। महंत जी ने सीधे उत्तर न देकर तोते को स्वयं सीखने का अवसर दिया, जिससे उसने अपनी स्वतंत्रता हासिल कर ली।
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