लालच का फल । Lalach ka fal
कहानी का सार:
यह कहानी हमें सिखाती है कि लालच और कपट का अंत हमेशा बुरा होता है। राज गुरु ने राजा की बेटी के भाग्य का अनुचित लाभ उठाने की योजना बनाई, लेकिन उनकी स्वार्थी चाल उन्हीं पर भारी पड़ गई, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। दूसरी ओर, ईमानदार और साहसी राजकुमार ने अपनी सूझबूझ से राजकुमारी को बचाकर उससे विवाह किया और सफल हुआ। यह कहानी हमें सत्य, ईमानदारी और अच्छे कर्मों के महत्व को समझाती है।
लालच का फल । Lalach ka fal
एक राजा की एक बेटी थी जो विवाह योग्य हो गई थी । लेकिन उसके योग्य वर नहीं मिल रहा था । वह अपनी बेटी के विवाह को लेकर चिंतित रहता था । उस राजा के एक राज गुरु थे । जो महीने मे एक दो बार राजा के दरबार मे आते थे । उस राज गुरु के जंगल मे गुरुकुल था । जहा वह बच्चों को पढ़ाते थे ।
राज गुरु ज्यादा समय अपने गुरुकुल मे हि बिताते थे । जब वह कई महीनों को बाद दरबार मे गये तो उन्होंने देखा की राजा बहुत चिंतित है । उन्होंने इसका कारण पूछा । राजा ने सारी बात बताई । राज गुरु ने कहा की चिंता मत कीजिए आप अपने बेटी की कुंडली हमे दिखाइये । राजा ने कुंडली लाकर राज गुरु के दे दिया । राजा गुरु ने उस कुंडली मे देखा की राजा की बेटी बहुत हि भाग्यशाली है । जिसके साथ विवाह होगा उसकी किस्मत बदल जाएगी ।
अगर वह वर राजा होगा तो महाराज बन जायेगा यदि वह महाराज है तो सम्राट बन जायेगा । यदि वह सम्राट है है चक्रवर्ती सम्राट बन जायेगा । राज गुरु के मन मे लालच आ गया उन्होंने सोचा की यदि राजा की बेटी इतनी है भाग्यशाली है तो क्यो ना मै हि इससे विवाह कर लु । राज गुरु ने राजा से कहा की आपकी बेटी बहुत हि भाग्यशाली है जिस घर मे जाएगी उस घर मे धन संपत्ति बढ़ेगी । लेकिन इसके कुंडली मे कुछ दोष है ।
इसलिए आप इसका विवाह आप सीधे ना कराये । इसके दोष को हटाने के लिए आप इसे एक बढ़े से बक्से मे बंद करके उसके हिरे मोती के साथ नदि मे प्रवाहित कर दे । इससे जो भी पुरुष मिलेगा उसी ये विवाह कर लेगी । राजा साहब ना चाहते हिये भी राज गुरु के बातो मे आ गये । उन्होंने ऐसा हि किया ।
इधर राज गुरु अपने गुरुकुल गये और बच्चों से बोले की आज पढ़ाई नहीं होगी । आज मेरा एक काम करना है । बच्चे खुश हो गये । राज गुरु ने कहा की नदी मे एक बक्सा आएगी उसे उठा कर मेरे कक्ष मे लाना है और बहार से कुंडी लगा देना है मै अंदर से कितना भी चिल्लाऊ दरवाजा नहीं खोलना है बच्चों ने कहा ठीक है गुरु जी बच्चों का तो आज मौज हि था । सभी बच्चे नदी मे स्नान करने चले गये और बक्से का इंतजार करने लगे । इधर बक्सा दहते हुए आ रहा था लेकिन बच्चों से पहले एक दूसरे राज्य के राज कुमार ने उस बक्से रोक लिया । वह राज कुमार जंगल मे शिकार खेलने के लिया आया हुआ था ।
राज कुमार जब बक्सा खोला तो देखा की इसमे तो एक सुंदर कन्या है । उसने कन्या से इसका करण पूछा तो कन्या ने सारी बाते बता दी । राज कुमार ने पूछा की अब क्या करना है । तो राज कुमारी ने कहा की मेरे पिता जी ने कहा था की जो भी पुरुष मिलेगा उससे विवाह कर लेना । राजकुमार ने तुरंत हिरे की अंगूठी पहनाइ और सगाई कर ली । राज कुमार ने सोचा की बक्सा खाली जाये इससे अच्छा है की जो शिकार मे जिंदा भलू पकड़ा है उसे हि इस बक्से मे बंद करके दहवा देता हुन । राज कुमार ने ऐसा हि किया । उसके बाद राजकुमारी को लेकर अपने महल की ओर चल पड़ा । इधर बच्चे बक्से का इंतजार कर रहे थे । तभी बक्सा आता हुआ दिखाई दिया सारे बच्चे खुश हो गये । बीस बाईस बच्चों ने मिलकर बक्से को किसी तरह उठाया क्योकि बक्सा बहुत भारी था । और उसे गुरु जी के कक्ष मे ले गये । और बाहर से कुंडी लगा दी । गुरु जी भी इसी इंतजार मे थे की कब बक्सा आये और इस कन्या से विवाह कर लूँ ।
बक्सा आते है गुरु जी ने बक्सा खोला तो उसमे जिंदा भालू था । भालू गेउ जी पर हमला करने लगा । गुरु जी चिल्लाने लगे बचाव बचाव लेकिन किसी ने भी दरवाजा नहीं खोला । एक बच्चे ने दरवाजा खोलना चाहा भी तो मॉनिटर ने डॉट दिया बोला की सुना नहीं था गुरु जी ने क्या कहा था हम गुरु जी के आज्ञा कारी शिष्य है जैसा गुरु जी ने कहा है वैसा हि हम करेंगे । इधर भालू ने गुरु जी को जान से मार दिया ।
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इस कहानी को पढ़ने से हमें कई महत्वपूर्ण जीवन पाठ मिलते हैं:
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लालच का परिणाम बुरा होता है: राज गुरु ने अपनी स्वार्थी और लालची सोच के कारण राजा की बेटी से विवाह की योजना बनाई, लेकिन उनके लालच ने अंततः उन्हें नुकसान पहुँचाया।
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सच्चाई और ईमानदारी की जीत होती है: राजकुमार ने बिना स्वार्थ के राजकुमारी की सहायता की और इसी कारण उसे सफलता और सुख मिला।
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धोखाधड़ी से बचाव का संदेश: कहानी यह सिखाती है कि हमें किसी भी निर्णय से पहले अच्छी तरह सोच-विचार करना चाहिए ताकि हम गलत लोगों के प्रभाव में न आएं।
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सुनियोजित कार्य का महत्व: राजकुमार की सूझबूझ से वह स्थिति को संभाल पाया, जो दर्शाता है कि सही समय पर बुद्धिमानी से निर्णय लेना महत्वपूर्ण है।
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नैतिकता और कर्म का महत्व: अच्छे कार्य का परिणाम सदैव सुखद होता है, जबकि बुरे कर्म का फल अंततः कष्टदायी ही होता है।
इस कहानी से हम अपने जीवन में कई अहम बातें अपना सकते हैं:
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ईमानदारी और सत्यनिष्ठा अपनाएं: जीवन में सफलता और सुख पाने के लिए ईमानदारी सबसे महत्वपूर्ण है। राजकुमार की सच्चाई और नेक इरादे ने उसे राजकुमारी का विश्वास और प्रेम दिलाया।
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लालच से बचें: लालच एक ऐसा अवगुण है जो बुद्धिमान व्यक्ति को भी पतन की ओर ले जाता है। राज गुरु की तरह स्वार्थी सोच अपनाने से हम अपने ही नुकसान का कारण बन सकते हैं।
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सही निर्णय के लिए धैर्य और सूझबूझ जरूरी है: राजकुमार ने परिस्थिति को समझदारी से संभाला, जिससे न केवल उसने अपनी जान बचाई, बल्कि राजकुमारी को भी सुरक्षित रखा। हमें भी अपने जीवन में जल्दबाजी के बजाय सोच-समझकर फैसले लेने चाहिए।
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दूसरों की भलाई के लिए तत्पर रहें: राजकुमार ने निःस्वार्थ भाव से राजकुमारी की मदद की, जिससे उसे सम्मान और खुशी प्राप्त हुई। अच्छे कार्य न केवल दूसरों के लिए फायदेमंद होते हैं, बल्कि वे हमारी जिंदगी में भी सकारात्मक बदलाव लाते हैं।
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धोखा देने वाले लोगों से सतर्क रहें: इस कहानी से यह सीख भी मिलती है कि हमें अंधविश्वास और धोखेबाजों से बचना चाहिए और हर फैसले को सोच-समझकर लेना चाहिए।
यह कहानी हमें पढ़नी चाहिए क्योंकि इसमें जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों और शिक्षाओं को सरल व रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। इस कहानी को पढ़ने के कुछ प्रमुख कारण हैं:
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नैतिक शिक्षा: यह कहानी लालच के दुष्परिणाम और ईमानदारी की जीत का संदेश देती है, जो हमारे जीवन में सही मार्ग अपनाने के लिए प्रेरित करती है।
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बुद्धिमानी और धैर्य का महत्व: कहानी दिखाती है कि संकट के समय धैर्य और सूझबूझ से काम लेना किस तरह हमें बड़ी मुसीबत से बचा सकता है।
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चरित्र निर्माण: बच्चों और युवाओं के लिए यह कहानी विशेष रूप से उपयोगी है, क्योंकि यह सिखाती है कि कैसे अच्छे गुण जैसे सत्य, ईमानदारी और साहस व्यक्ति को महान बनाते हैं।
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मनोरंजन के साथ सीख: यह कहानी रोचक घटनाओं और ट्विस्ट के कारण मनोरंजक है, जिससे पाठक जुड़ा रहता है और साथ ही जीवन के महत्वपूर्ण पाठ सीखता है।
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नैतिक दुविधा का समाधान: यह कहानी दिखाती है कि कैसे लालच के जाल में फंसने के बजाय सच्चाई और अच्छे कर्मों का मार्ग अपनाना ही सबसे उचित होता है।
कहानी का निष्कर्ष:
इस कहानी का निष्कर्ष यह है कि लालच और कपट का परिणाम सदैव विनाशकारी होता है। स्वार्थी सोच और बुरी नीयत से किए गए कार्य अंततः व्यक्ति को हानि पहुँचाते हैं, जैसा कि राज गुरु के साथ हुआ। दूसरी ओर, ईमानदारी, साहस और सद्गुण अपनाने वाले व्यक्ति को सफलता और सम्मान प्राप्त होता है, जैसा कि राजकुमार को मिला।
यह कहानी हमें सिखाती है कि सत्य, न्याय और अच्छे कर्म ही जीवन में वास्तविक सफलता और सुख का मार्ग हैं।
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