राजा की चतुराई - raja ki chaturai

 कहानी का सार

यह कहानी एक ऐसे रोटी बेचने वाले की है जो महंगाई बढ़ने के कारण अपनी रोटी की कीमत बढ़ाना चाहता था। राजा से इजाजत लेने पर राजा ने उसे रोटी की कीमत 15 रुपये करने को कहा। इससे राज्य में हंगामा मच गया और लोगों ने इसका विरोध किया। जब राजा ने रोटी बेचने वाले को बुलाकर डांटा और कीमत 10 रुपये करने को कहा, तो सभी लोग संतुष्ट हो गए। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि समस्या का हल चतुराई और सूझबूझ से निकालने पर सभी को संतुष्ट किया जा सकता है।


राजा की चतुराई - Raja ki chaturai



राजा की चतुराई - Raja ki chaturai


 एक राज्य मे एक रोटी बेचने वाला रहता था । वह रोजाना रोटी बेचता था । वह उस राज्य मे एकलौता रोटी बेचने वाला था । इसलिए उसके रोटी की बहुत मांग थी । रोटी बेचते बेचते काफी समय हो गया था । समय बितने के साथ साथ महगाई बड़ गई थी । रोटी बेचने वाला एक रोटी पांच रुपये मे बेचता था । लेकिन अब रोटी बेचने वाले को लगाने लगा की इतने मे काम नहीं  चल पायेगा तो उसने रोटी कीमत बढ़ाने की सोची । 

राजा की चतुराई - Raja ki chaturai


 वह एक रोटी दस रुपये का करने की सोची । लेकिन ऐसा करने के लिए उसे राजा की इजाजत की जरूरत थी । इसलिए वह राजा के पास गया । और कहा मै आपके राज्य मे रोटी बेचता हुन । और एक रोटी पांच रुपये का बेचता हुन । लेकिन महगाई बढ़ने के कारण अब मेरा गुजारा इतने मे नहीं हो पा रहा है । राजा साहब आपसे निवेदन है की मेरे एक रोटी की कीमत दस रुपये करने की इजाजत दे दे। राजा साहब उसकी बाते सुनने के बाद कुछ सोच विचार किये फिर राजा साहब बोले की तुम एक रोटी पंद्रह रुपये की बेचो । 


राजा की चतुराई - Raja ki chaturai


 वाला खुश हो गया । औए अगले हि दिन एक रोटी पंद्रह का कर दिया । अब पूरे राज्य शोर शराबा होने लगा की रोटी वाले ने एक रोटी की कीमत सीधे तिन गुना कर दिया । सभी लोग उसका विरोध करने लगे । सभी मिलकर राजा साहब के पास गये । सभी मिलकर राजा से उस रोटी बेचने वाले की शिकायत की । 


राजा की चतुराई - Raja ki chaturai


 साहब सुन के गुस्सा हो गये । और बोले की कौन है वह दुष्ठ आदमी जो मेरे राज्य मे इतना महगा रोटी बेच रहा है तुरंत उसको बुलाओ । मै उसको काल कोठरी मे डालूंगा । रोटी बेचने वाले को बुलाया गया । राजा क्रोधित होकर बोले की तुम्हारा ये हिम्मत की तुम रोटी की कीमत सीधे तिन गुना बढ़ा दिया । 

राजा की चतुराई - Raja ki chaturai

 

राजा बोले की बढ़ाना हि है तो दो गुना बढ़ा दो । रोटी वाले ने हमी भर दी । सारे लोग भी खुश हो गये की रोटी कीमत तिन गुना केवल दो गुना हि बढ़ा है । रोटी वाला भी खुश हो गया और सारे लोग भी खुश हो गये ।

कहानी का निष्कर्ष

यह कहानी हमें सिखाती है कि किसी समस्या का हल केवल बलपूर्वक या सीधे तरीके से निकालना हमेशा उचित नहीं होता। राजा ने अपनी सूझबूझ से रोटी की कीमत पहले बहुत अधिक बढ़ाने का सुझाव दिया, जिससे लोगों ने जब कम बढ़ी हुई कीमत सुनी तो उसे सहजता से स्वीकार कर लिया। इससे पता चलता है कि कभी-कभी सही निर्णय के लिए मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना और लोगों की भावनाओं को समझना ज़रूरी होता है।

इस कहानी को पढ़ने से लाभ

  1. बुद्धिमानी का महत्व: कहानी सिखाती है कि किसी भी समस्या को हल करने के लिए केवल कठोर निर्णय ही नहीं, बल्कि चतुराई और सूझबूझ भी बहुत जरूरी होती है।

  2. सामाजिक संतुलन: यह कहानी दिखाती है कि किसी भी बदलाव को स्वीकार्य बनाने के लिए लोगों की मानसिकता को समझना जरूरी है।

  3. समस्या समाधान कौशल: राजा ने समस्या को हल करने के लिए पहले कीमत ज्यादा बढ़ाने का सुझाव दिया, जिससे बाद में उचित वृद्धि को लोग आसानी से स्वीकार कर सके। यह हमें सिखाता है कि सही रणनीति अपनाकर विरोध को शांत किया जा सकता है।

  4. नेतृत्व गुण: राजा का व्यवहार नेतृत्व की अच्छी मिसाल है, जिसमें वे जनता के हित को ध्यान में रखते हुए सही निर्णय लेते हैं।

  5. धैर्य और सहनशीलता: कहानी से हमें यह भी सीख मिलती है कि समस्याओं का हल पाने के लिए जल्दबाजी के बजाय सोच-समझकर फैसले लेना अधिक कारगर होता है।


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