अहंकार का अंत - Ahankar ka ant
Hindi Motivational Story -
अहंकार का अंत - Ahankar ka ant
एक राजा की एक बेटी थी ।लेकिन उस राजा के एक भी बेटा नहीं था राजा यह सोच सोच के परेशान रहता था की मेरे बाद इस राज पाट को कौन संभालेगा । राजा को राज्य करते काफी अरसा हो गया था । राजा बुढ़ा हो चला था । राजा ने निर्णय लिया अपने बेटी की शादी कर देता हुन । और अपने दामाद को हि राजा बना डूंगा । राजा ने यह भी सोच की कल शुबह जो भी पहला युवक आएगा उसी से अपनी बेटी का विवाह कर डूंगा ।
अगले शुबह एक युवक फ़टे पुराने कपड़े पहने आया । वह एक भिखारी था । राजा ने अपने कहे गये बात के अनुसार उस युवक से अपनी बेटी का विवाह कर दिया । उसी युवक का राज्य तिलक करके राजा बना दिया । और खुद तपस्या के लिए जंगल मे चला गया ।
जो युवक था धीरे धीरे राज्य के सारे कार्य भार संभाल लिया । धीरे धीरे सब कुछ सिख लिया । वह अपनी प्रजा का भी अच्छे से ख्याल रखता था । सारी जनता उससे बहुत प्रसन्न थी की जो पिछले राजा थे उन्होंने सही निर्णय लिया है । ये जो नये राजा है बहुत हि अच्छे है । चारो ओर इसी बात की चर्चा थी । समय बीतता गया ।
राज्य का खजना जिस कोठरी मे था । उसकी चाफ़ी वित्त मंत्री के पास था । जरूरी कागजात के कोठरी का चाफ़ी मंत्री के पास था । हथियारों के कोठरी का चाफ़ी सेनापति के पास था । लेकिन एक कोठरी की चाफ़ी राजा हमेसा अपने पास रखते थे । हर दस दिन पंद्रह दिन बाद राजा उस कोठरी मे जाते एक घंटा वहा ब्यतीत करते फिर चले आते । सबके मन मे एक सवाल था की आखिर उस कोठरी मे राजा ने क्या रख्खा है । जिसकी चाफ़ी वह खुद लेकर घुमते है । एक दिन वित्त मंत्री ने राजा से यह बात पूछ लिया की उस कोठरी मे आखिर है क्या राजा ने वित्त मंत्री को डाट दिया और नहीं बताया की उसमे क्या है । सेनापति ने भी पूछा लेकिन राजा ने उसे भी नहीं बताया । सब ने मिलकर सोचा की यदि रानी पूछे तो राजा को जरूर बतानी पड़ेगी । सब ने रानी को यह बात पूछने को कही ।
रानी भी जानने के लिए उत्सुक हो गई की आखिर मेरे पति ने उसमे क्या रख्खा है की उसकी चाफ़ी वह किसी को नहीं देते हमेसा अपने पास रखते है । रानी ने राजा से पूछा और बोला की जब तक आप बताएंगे नहीं तब तक अन्न का एक निवाला नहीं खाउंगी । राजा विवश हो गये । राजा बोले चलो ठीक है आप लोग मेरे पीछे आइये मै दिखता हुन की आखिर उसमे क्या है । आगे आगे राजा उनके पीछे रानी रानी के पीछे मंत्री , वित्त मंत्री , सेना पति सब चल रहे थे । राजा ने उस कोठरी का दरवाज़ा खोला सब अंदर गये तो देखा कुछ भी नहीं । बस एक किल पर फ़टे पुराने कपड़े टांगे गये थे ।
राजा ने कहा की जब भी मुझे राजा होने का अहंकार होता था तब तब मै इस कोठरी मे आकर अपने कपड़ो को देखता था । की मै वास्तव मे क्या था । इनको देखने के बाद तुरंत मेरा अहंकार ख़त्म हो जाता था । मै इन कपड़ो से अपने पुराने दिनों को याद करता था । वो तो राजा साहब की मेहरबानी थी की अपनी बेटी का विवाह मुझसे करा के मुझे राजा बना दिया ।
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निष्कर्ष
इस कहानी का निष्कर्ष यह है कि व्यक्ति को अपने अतीत और विनम्रता को कभी नहीं भूलना चाहिए। सफलता और उच्च पद मिलने के बाद भी यदि इंसान अपने पुराने संघर्षों को याद रखे तो उसमें अहंकार नहीं आता। राजा द्वारा अपने फटे पुराने कपड़ों को संजोकर रखना यही दर्शाता है कि सच्ची महानता में विनम्रता का होना आवश्यक है। यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में कितनी भी ऊंचाई क्यों न मिल जाए, हमें अपनी जड़ों और संघर्षों को कभी नहीं भूलना चाहिए, क्योंकि वही हमें सच्चा इंसान और सफल व्यक्ति बनाते हैं।
इस कहानी को पढ़ने के लाभ
इस प्रेरक कहानी को पढ़ने से हमें कई महत्वपूर्ण जीवन मूल्य सीखने को मिलते हैं:
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विनम्रता का महत्व: सफलता और ऊंचे पद पर पहुंचने के बाद भी व्यक्ति को अपने अतीत को याद रखना चाहिए ताकि अहंकार न आए।
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आत्ममूल्यांकन की आदत: राजा द्वारा अपने पुराने कपड़ों को देखने की आदत हमें सिखाती है कि आत्ममूल्यांकन से हम अपने दोष और कमजोरियों को समझ सकते हैं, जिससे हम और बेहतर बनते हैं।
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संस्कार और कृतज्ञता: राजा ने अपने पुराने संघर्षों को याद कर अपने विनम्र स्वभाव को बनाए रखा, जिससे यह सीख मिलती है कि हमें अपने अतीत और उन लोगों का सम्मान करना चाहिए जिन्होंने हमें आगे बढ़ने में मदद की।
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प्रेरणा और नेतृत्व: इस कहानी से हमें समझ आता है कि एक अच्छा नेता वही होता है जो विनम्रता, संयम और जिम्मेदारी के साथ कार्य करे।
Good story ahinkar jindagi me kabhi nahi hoga radhe radhe ji
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