अपने सम्मान का त्याग - Hindi motivational story
यह कहानी एक राजा की है जो प्रतिदिन भेष
बदलकर अपने राज्य का भ्रमण करता था। एक दिन वह बाजार में एक लाश देखता है, लेकिन कोई भी उसकी मदद के लिए तैयार नहीं होता। जब राजा उस व्यक्ति की पहचान जानने की कोशिश करता है, तो उसे पता चलता है कि समाज उसे बुरा मानता था, लेकिन असल में वह एक निस्वार्थ इंसान था। वह शराब खरीदकर नष्ट कर देता था ताकि कोई और उसे न पी सके, और नर्तकी को धन देकर उसे गलत राह पर जाने से बचाता था। अंत में राजा उसकी सच्चाई समझता है और उसे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई देता है। यह कहानी त्याग, निस्वार्थ सेवा और समाज की धारणाओं पर एक गहरा संदेश देती है।
अपने सम्मान का त्याग - Hindi motivational Story
एक राज्य मे एक राजा शाम होते हि भेष बदलकर अपने राज्य का भ्रमण करते थे । एक दिन जब वह अपने मंत्री के अपने राज्य का भ्रमण कर रहे थे । और भ्रमण करते करते वह बाजार मे पहुचे जहा बाजार लगता था । वहा उन्होंने देखा की एक लाश पड़ी हुई है ।
उस लाश को उठाने के लिए कोई नहीं जा रहा है । राजा अपने मंत्री के साथ उस लाश के पास गये । जोर जोर से सहायता ले लिए चिल्लाने लगे । राजा ने देखा की कोई भी सहायता के लिए नहीं आ रहा है तो वह एक दुकान पे गये और उस दुकानदार से सहायता मांगी तो उस दुकानदार ने मना कर दिया ।
राजा दूसरे दुकानदार के पास गया तो वो भी मना कर दिया । राजा फिर तीसरे दुकानदार के पास गये तीसरे दुकानदार ने कहा की यह भला आदमी नहीं है । कहा आप इसके चक्कर मे पड़ते इसको छोड़िये और जाइये घर । राजा सोचने लगे की क्या यह सच मे इतना बुरा इंसान है की इसकी मदद करने कोई नहीं आ रहा है । राजा ने कहा ठीक सहायता नहीं करनी है तो मत कीजिये लेकिन इसका लाश का पता तो बता दीजिये । उस दुकानदार ने पता बता दिया ।
राजा और उसके मंत्री मिलकर उस लाश को लेकर उसके घर पहिचे । उस लाश की जो पत्नी थी वह रोने लगी और बहुत रोई । राजा के मन मे सवाल था तो उसने उस आदमी के पत्नी से पूछा । राजा बोले की क्या तुम्हारा पति इतना खराब इंसान है की कोई मदद के लिए आगे नहीं आ रहा था । उसकी पत्नी बोली नहीं मेरे पति बहुत हि अच्छे इंसान थे । राजा संकोच मे पड़ गये । जमाना इसे खराब कह रहा है । और इसकी पत्नी अच्छा कह रही है । राजा ने यह बात उस औरत से कहा तो उसकी पत्नी ने कहा की मै मना करती थी की ऐसा काम मत करो जमाना थूकेगा लेकिन यह नहीं मानते थे। राजा ने पूछा की कौन सा काम करते थे ।
उसकी पत्नी सारी बात बताने लगी की रोजाना शाम को शराब के दुकान से शराब खरीद के लाते और खुद ना पी के नारी मे गिरा देते थे । और कहते थे जितना शराब मै खरीद कर लाया हुन उतना शराब कोई और नहीं खरीद पायेगा और किसी की जिंदगी बर्बाद होने से बच जायेगा । हर शाम एक नर्तकी के पास जाते थे उसे पैसा देकर आते थे । और कहते थे की पैसे के लिए अपना दरवाजा मत खोलना । मै कहती आपके इस काम से जमाना आपको गलत समझेगा । लेकिन यह नहीं मानते थे और कहते थे की घबराओ नहीं जमाना भले हि मुझको गलत समझे लेकिन मेरी लाश को राजा कंधा देंगे । इतना सुनकर राजा के आँख मे आँशु आ गये और बोले मै हि राजा हुन । और इनका दाह संस्कार रजाकिय रूप मे किया जायेगा ।
निष्कर्ष:
यह कहानी सिखाती है कि समाज अक्सर सतही दृष्टिकोण से लोगों का आकलन करता है, बिना उनकी असली मंशा को समझे। कहानी का नायक दिखने में गलत समझा जाता है, लेकिन उसका उद्देश्य समाज की भलाई करना था। उसने शराब नष्ट कर कई जीवन बचाए और एक नर्तकी को मजबूरी में गलत राह पर जाने से रोका। राजा ने उसकी सच्चाई को पहचाना और उसे राजकीय सम्मान दिया। यह दर्शाता है कि सच्चे कर्मों की पहचान देर से ही सही, लेकिन अवश्य होती है। हमें किसी को आंकने से पहले उसकी असली नीयत और कार्यों को समझना चाहिए।
इस कहानी से मिलने वाले लाभ और सीख:
- जल्दबाजी में निर्णय न लें – किसी व्यक्ति को केवल उसकी बाहरी छवि या समाज की धारणाओं के आधार पर अच्छा या बुरा नहीं मानना चाहिए।
- सच्ची भलाई दिखावे से परे होती है – असली नायक वह होता है जो बिना प्रशंसा या पहचान की इच्छा के अच्छे कार्य करता है।
- समाज की सोच हमेशा सही नहीं होती – कई बार लोग किसी के कार्यों को गलत समझते हैं, लेकिन सच्चाई कुछ और होती है।
- नेतृत्व का सही गुण – राजा की तरह एक सच्चे नेता को अपने लोगों की वास्तविक स्थिति जानने और न्याय करने की क्षमता रखनी चाहिए।
- निस्वार्थ सेवा का महत्व – दूसरों की भलाई के लिए किया गया कार्य, भले ही समाज उसे न समझे, लेकिन उसका महत्व अमूल्य होता है।
यह कहानी हमें सिखाती है कि अच्छाई को पहचानने की नजर होनी चाहिए, न कि केवल समाज की धारणाओं पर विश्वास करना चाहिए।
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