रिश्तो का सच्चा मूल्य । rishto ka sachcha muly
कहानी का सार
यह कहानी दो भाइयों की है, जिनमें बहुत प्रेम था। वे हर काम मिलकर करते थे, लेकिन एक दिन झगड़े के कारण दोनों के बीच बोलचाल बंद हो गई और वे अलग-अलग रहने लगे। समय बीतने के बाद छोटे भाई की बेटी की शादी तय हुई। छोटे भाई को अपनी गलती का अहसास हुआ और वह अपने बड़े भाई से माफी मांगने गया, लेकिन बड़े भाई ने उसे माफ नहीं किया।
बाद में एक महात्मा ने बड़े भाई को समझाया कि जीवन में हमें उन बातों को याद नहीं रखना चाहिए जो हमें अपनों से दूर कर दें। इसके बजाय हमें सकारात्मक बातों पर ध्यान देना चाहिए। बड़े भाई को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह अपने छोटे भाई से मिलकर उसकी बेटी की शादी में शामिल हुआ।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि गिले-शिकवे भुलाकर अपने रिश्तों को महत्व देना चाहिए क्योंकि सच्ची खुशी अपनों के साथ रहने में ही होती है।
दो भाइयो की कहानी जीनमे बहुत प्रेम था हर काम एक दूसरे से मिलकर करते थे । बड़ा भाई कही जाता था सबके लिए गिफ्ट लाता था । छोटा भाई कही जाता था तो सबके लिए कुछ ना कुछ लेकर आता था । इन दोनो मे बहुत प्रेम था । जिंदगी ऐसे हि आगे बड़ रही थी । एक दिन दोनो भाइयो मे झगड़ा हो गया । छोटे भाई ने बड़े भाई को बहुत भला बुरा कह दिया ।
अब दोनो भाइयो मे बोलचाल बंद हो गया । वे एक दूसरे से अलग रहने लगे । अपना अपना अलग मकान बनवा लिया । दोनो कभी रास्ते मे मिलते थे नज़रे चुरा के निकल जाते थे । लेकिन एक दूसरे से बोलते नहीं थे । धीरे धीरे इस बात का अरसा बीत गया । छोटे भाई के बेटी की शादी तय हुआ । शादी नजदीक आया तो छोटे भाई को अपने गलती का एहसास होता है । वह अपने बड़े भाई को बुलाने के लिए उनके घर जाता है उनसे माफी मांगता है उनके पैरो मे गिर जाता है ।
रोते हुए कहता है बड़े भैया मुझे माफ कर दीजिये । मुझे उस दिन आपको इतना भला बुरा नहीं कहना चाहिए । आप जो कहेंगे मै वो कहने के लिए तैयार हुन । पर मुझे माफ कर दीजिये । मेरी बेटी का विवाह है आपके बिना यह शादी अधूरा लगेगा । इस शादी मे हि सब कुछ करना है देखना है । जितना वो मेरी बेटी है उतना वो आपकी भी बेटी है । लेकिन उसके बड़े भाई ने एक ना सुनी । कुछ जवाब हि नहीं दिया । उसे लग रहा था की छोटा ढोंग कर रहा है । बड़े भाई के तरफ से कोई प्रतिक्रिया ना पाकर छोटा भाई मायूस होकर चला जाता है । इन दोनो भाइयो मे एक सामान्य बात थी की वो दोनो एक हि महात्मा के पास कथा सुनने जाते थे । एक दिन जब दोनो भाई कथा सुनने गये तो उस दिन भी छोटा भाई उदास था । महात्मा जी ने देखा तो छोटे भाई को बुलाया बोला की क्या बात है आज इतने उदास हो । छोटे भाई ने महात्मा जी से सारी बात बता दी । महात्मा जी ने कहा ठीक है कोई बात नहीं मै तुम्हारे बड़े भाई से बात करता हुन । महात्मा जी ने बड़े भाई को बुलाया और कहा की अच्छा एक बात बताओ की कल मैने कथा मे क्या समझाया था ।
उसको एक बार मुझे बताओ । बड़े भाई बहुत जोर दिया लेकिन बता नहीं पाया । उसने महात्मा जी से कहा की महात्मा जी मुझे ठीक से कुछ याद नहीं आ रहा है । महात्मा जी ने कहा की कल की बात तुम्हे ठीक से याद नहीं है । लेकिन दस साल पहले हुए झगड़े की एक एक बात याद है । जिसके कारण तुम अपने छोटे भाई के घर नहीं जा रहे हो । महात्मा जी ने बहुत समझाया की हमे जिंदगी मे उन बुरी बातो पर ध्यान हि नहीं देना है । जो हमे अपनो से दूर कर दे । हमे केवल सकारात्मक बातो पर ध्यान देना है और उसे हि अपने पास रखना है । बड़े भाई को अपने गलती का एहसास होता है वह तुरंत अपने छोटे भाई को गले लगाकर रोने लगाता है । और दोनो भाई मिलकर अपने बेटी का विवाह करते है ।
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निष्कर्ष:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि रिश्तों में प्रेम, अपनापन और क्षमा सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। गुस्से और अहंकार के कारण हम अपने अपनों से दूर हो सकते हैं, लेकिन समय रहते अपनी गलतियों को स्वीकार कर माफी मांगना और माफ कर देना ही सच्ची समझदारी है।
जीवन में बुरी घटनाओं और मनमुटाव को भूलकर सकारात्मक बातों पर ध्यान देना चाहिए, ताकि हमारे रिश्ते मजबूत बने रहें। आखिरकार, सच्ची खुशी अपनों के साथ मिलकर रहने में ही होती है।
इस कहानी को पढ़ने से लाभ -
1- यह कहानी हमे सकारात्मक प्रवृत्ती वाली बनती है
2- हमे उन सभी बातो पर ध्यान नहीं देना चाहिए जो हमे अपनो से दूर करती है ।
3-हमेसा अपने परिवार के साथ रहना चाहिए
4- अपने परिवार के हर सुख दुख मे साथ देना चाहिए
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