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पिता का बलिदान - Pita ka balidaan


 यह कहानी एक पति-पत्नी की है, जिसमे एक पिता के बलिदान को दिखाया गया है ।  जो एक नाव यात्रा के दौरान दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। जब नाव डूबने लगती है, तो केवल एक ही लाइफ बोट बचता है। पति अपनी पत्नी को पीछे छोड़कर खुद को बचा लेता है, जिसे देखकर सबको लगता है कि वह स्वार्थी है। मरने से पहले पत्नी अपने पति से सिर्फ इतना कहती है – "हमारी बेटी का ख्याल रखना।"
बचने के बाद पति अपनी बेटी को बड़े प्यार से पालता है, लेकिन जब बेटी को सच पता चलता है कि उसके पिता उसकी माँ को समुद्र में छोड़कर आए थे, तो वह उनसे नफ़रत करने लगती है। वर्षों बाद, पिता की मृत्यु के बाद, बेटी को उनकी लिखी डायरी मिलती है, जिसमें सच्चाई सामने आती है—पति ने पत्नी को इसलिए छोड़ा था क्योंकि वह पहले से ही बीमार थी और ज्यादा दिनों की मेहमान नहीं थी। उसने अपनी बेटी के भविष्य के लिए खुद को बचाने का कठिन निर्णय लिया था।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी के निर्णय को बिना उसकी परिस्थितियों को समझे जज नहीं करना चाहिए। माता-पिता का प्रेम और त्याग निःस्वार्थ होता है, जिसे हमें समझने और सम्मान देने की जरूरत है।



पिता का बलिदान - Pita ka balidaan







एक बार एक टीचर अपने स्टूडेंट्स को कहानी सुना रहे थे । वह कहानी मे बताते है की कुछ समय पहले । समुन्द्र मे नाव से घूमने गये थे । उसमे एक पति पत्नी का जोड़ा ऐसा भी था । जिसमे उस औरत की तबियत खराब चल रहा था । वह कुछ हि दिनों की मेहमान थी । वह अपने पति से जिद्द करके उस नाव पर आई थी । अचानक नाव मे खराबी होने के कारण नाव मे पानी भरने लगता है ।



 नाव डुबने लगती है। जल्दी से रेस्क्यू टीम को सहायता के लिए बुलाया जाता है । रेस्क्यू टीम समय से आ भी जाती है । रेस्क्यू टीम  सबको बचा के किनारे पर ले आती है। लेकिन वह पति पत्नी का जोड़ा  अभी वहि बच जाता है । और एक हि लाइफ बोट बचा होता है । जिस पर लोगो को  बैठा कर किनारे पे ले आये थे रेस्क्यू  टीम । वह अंतिम क्षण आता है । जब नाव डुबने को होता है । पति अपने पत्नी को धक्का देकर खुद उस लाइफ बोट पर चढ़ कर जाने लगता है । क्योकि एक लाइफ बोट पर एक ब्यक्ति बैठ सकता था । अपने पति को ऐसा करते देख पत्नी पीछे से चिल्लाई और अपने पति से कुछ कहा ।


इतने मे हि टीचर अपनी कहानी रोककर बच्चो से पूछने लगे की आप लोगो को क्या लगता है । उस औरत ने अपने पति से क्या कहा होगा । तो बच्चो ने तरह तरह के उत्तर दिये । किसी ने कहा की बोली होगी मै तुमसे नफ़रत करती हुन । किसी ने जबाब दिया की तुम धोखेबाज़ हो । किसी ने कहा की तुम मतलबी इंसान हो । एक बच्चा बहुत गंभीर था । वह कुछ नहीं बोला । जब टीचर की नजर उस पर पड़ी तो टीचर ने उस लड़के से पूछ लिया । तुम्हे क्या लगता है । उस औरत ने क्या कहा होगा । उस बच्चे ने जवाब दिया की कहा होगा की अपने बच्चों का  ख्याल रखना । टीचर अचंभित थे बच्चे का जवाब  बिल्कुल सही था ।  टीचर ने कहा बिल्कुल सही जवाब है पर तुम्हे कैसे पता क्या तुम पहले से कहानी सुन रख्खा था । बच्चे ने कहा की नहीं । जब मेरी मा बीमार थी । तो वह भी अपने अंतिम क्षण मे मेरे पापा से यही कहा था । अब टीचर कहानी को आगे बढ़ाते है । 




और बताते है की वहा से बचने के बाद आदमी अपने घर जाता है और उसकी एक छोटी सी बच्ची होती है । उसका अच्छे से ख्याल रखता है । उसको  पढ़ाता लिखता है ।  जब बच्ची बड़ी होती है तो उसे पता चल जाता है की कैसे उसके पिता उसके मा को समुन्दर मे छोड़ के चले आये थे । बच्ची अपनी मा के मौत का जिम्मेदार अपने पिता को मानती है। अपने पिता से वह नफ़रत करने लगाती है । कभी सीधे तरीके से बात नहीं करती । लेकिन फिर भी उसके पिता उसके किसी बात का बुरा नहीं मानते । हमेसा उसका ख्याल रखते । जब बच्ची शादी योग्य हो जाति है तब उसके  पिता उसकी शादी भी कर देते है । समय का पहिया आगे निकलता है । और वह आदमी एक दिन मर जाता है । कुछ दिन बितने के बाद । बच्ची अपने मायके आती है । और घर की सफाई करती है । तो उसे अपने पापा की डायरी मिलती है । उस डायरी के अंतिम पेज पर लिखा होता है । मै किये पर शर्मिंदा हुन । मै भी तुम्हारे साथ समुन्द्र मे डूब जाना चाहता था । लेकिन मै मजबूर था । मुझे पता था की तुम कुछ दिनों की हि मेहमान हो । बहुत जल्दी मर जाओगी । इसलिए मेरा बचना जरूरी था । यदि मै भी तुम्हरे साथ डूब के मर जाता तो अपने बच्ची का ख्याल कौन रखता । उसको लावारिश की जिंदगी ना जीना पड़े । इसलिये मुझे ऐसा कदम उठाना पड़ा । मै माफी के काबिल तो नहीं लेकिन फिर भी हो सके तो मुझे माफ कर देना । इतना पढ़ने के बाद बच्ची के आँखों मे आंसु आ गये जो अपने पिता से बहुत नफ़रत करती थी । उसे अपने पिता पर किये गये बर्ताव पर पछतावा होने लगाता है ।

कहानी का निष्कर्ष:

  पिता का बलिदान - Pita ka balidaan  कहानी हमें सिखाती है कि हर परिस्थिति के दो पहलू होते हैं—जो दिखता है, वह हमेशा सच नहीं होता। कई बार हमें जो निर्णय स्वार्थी लगते हैं, वे वास्तव में किसी गहरे त्याग और मजबूरी का परिणाम होते हैं।

पिता के निर्णय को बेटी ने सालों तक गलत समझा, लेकिन जब सच्चाई सामने आई, तो उसे अपने किए पर पछतावा हुआ। यह हमें यह सीख देता है कि हमें किसी के कार्यों को जज करने से पहले उनकी परिस्थितियों को समझने की कोशिश करनी चाहिए। माता-पिता अपने बच्चों के लिए जो भी करते हैं, उसमें उनका निस्वार्थ प्रेम और बलिदान छिपा होता है।

इसलिए, जल्दबाजी में किसी को दोष देने से पहले उनकी स्थिति और कारणों को समझना जरूरी है।

इस कहानी को पढ़ने के लाभ:

  1. परिस्थितियों को समझने की सीख:यह कहानी हमें सिखाती है कि किसी के निर्णय को जज करने से पहले उसकी परिस्थितियों को समझना जरूरी है। हर फैसले के पीछे एक कारण होता है।

  2. माता-पिता के त्याग को समझना:यह हमें माता-पिता के निस्वार्थ प्रेम और बलिदान की गहरी भावना से अवगत कराती है। वे अपने बच्चों के लिए कितने कठिन फैसले लेते हैं, यह जानने का अवसर मिलता है।

  3. जल्दबाजी में निर्णय न लेने की सीख:यह कहानी बताती है कि हम जो देख रहे हैं, वह हमेशा सच नहीं होता। इसलिए किसी को दोष देने से पहले पूरी सच्चाई जाननी चाहिए।

  4. भावनात्मक संवेदनशीलता बढ़ाना:यह हमें संवेदनशील और दयालु बनने में मदद करती है। इससे हम दूसरों की भावनाओं और उनके संघर्षों को बेहतर समझ सकते हैं।

  5. समाज और रिश्तों की गहराई को जानना:  कहानी रिश्तों की जटिलता और उसमें छिपे प्रेम को समझने में मदद करती है, जिससे हम अपने संबंधों को और मजबूत बना सकते हैं।

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