एक राजा और नर्तकी की कहानी । Ek raja aur nartaki ki kahani

 समय कब बदल जाता है पटा हि नहीं चलता है । चल चित्रों मे इसे देखकर बहुत मजा आता है लेकिन असल जिंदगी मे अपने समय को बदलने मे बहुत कठिन परिश्रम करना पड़ता है। इसलिए समय रहते बदल जाइये । जब तक समय आपको मारे उससे पहले आप समय के मार को बचने और उससे लड़ने के लिए तैयार रहे।    आज की कहानी इसी पर आधारित है  जो एक राजा और नर्तकी की है ।  

एक राजा और नर्तकी की कहानी । Ek raja aur nartaki ki kahani


         एक राजा और नाचने वाली की कहानी


एक राजा अपने दरबार मे नाच का प्रदर्शन करता है जिसको देखने के लिए अनेको राजा आते है । राजा अपने गुरु को भी बुलाता है । नाच शुरु होता है । नाच चलते हुए रात से सुबह का बेला होने को आया इस दौरान ढोलक बजाने वाले को झपकी आने लगा । नर्तकी की नजर ढोलक बजाने वाले पर पड़ती है । नर्तकी सोचती है की यादी राजा की नजर ढोलक वादक पर पड़ी तो वह उसको सजा देंगे । ढोलक वादक को सजा से बचाने के लिए उसे एक दोहे के माध्यम से सतर्क किया ।

                         घणी गई थोड़ी रही, या में पल-पल जाय। 

 पलक के कारणे, यूं ना कलंक लगाय।    

 


एक राजा और नर्तकी की कहानी । Ek raja aur nartaki ki kahani


दोहा सुनकर ढोलक वादक सतर्क हो गया । फिर पूरे जोश से ढोलक बजाने लगा । इस दोहे को सुनकर राजा का लड़का  नर्तकी के पास गया और अपना मुकुट उठा के दे दिया । इसके बाद राजा की लड़की आगे बड़ी और अपना हीरो का जड़ा माला उपहार मे दे दिया । इसके बाद राजा के गुरु नर्तकी के पास गये और राजा द्वारा दिया गया सोने के सिक्कों का थैला नर्तकी को दे दिया । यह सब देखकर राजा अचंभित था और क्रोधित भी हुआ । वह यह समझने मे असमर्थ था की इस दोहे को सुनकर सभी के ब्यवहार मे परिवर्तन क्यो हो रहा है । जब उसने अपने बेटे से पूछा तो उसके बेटे ने कहा की आज रात मै कुछ सैनिको को लेकर आपका वध करना चाहता था और राजा बनाना चाहता था । लेकिन इस दोहे के अर्थ    -

बहुत सा समय बीत चुका है, अब केवल थोड़ा समय ही बचा है, और वह भी पल-पल करके तेजी से बीत रहा है। सिर्फ एक पल के कारण (या एक छोटी सी गलती के कारण) अपने ऊपर कलंक न लगने दें।

को समझ कर आपको मारने का विचार त्याग दिया । सोचा किसी ना किसी दिन तो आपा हमे राजा बनाएंगे हि तो मै आपकी हत्या करके कलंक क्यो लगाउ ।

एक राजा और नर्तकी की कहानी । Ek raja aur nartaki ki kahani


इसके बाद लड़की बोली मेरी उम्र शादी की हो गई है फिर भी आप मेरी शादी नहीं करा रहे है इसलिए मै अपने राज्य के नाई के लड़के के साथ आज रात भागने वाली थी मगर इस दोहे को सुनकर भागने का विचार त्याग दिया सोचा की  आपा कभी तो मेरी शादी कराएंगे हि तो मै भागकर आपकी बदनामी क्यो करु।

एक राजा और नर्तकी की कहानी । Ek raja aur nartaki ki kahani

गुरु ने कहा की मै पूजा पाठ करने वाला ब्यक्ति हुन लेकिन राजन आपके कहने पर आज यहा नाच देख रहा हुन । इस दोहे को सुनकर मेरा मलिन मन बदल गया है ।


राजा को सब समझ मे आ गया की इस दोहे के अर्थ मे कितनी शक्ति है और इसका मतलब क्या है उसने तुरंत अपने लड़के को राजा बनाया । और अपने लड़की की शादी राज्य दरबार मे आये एक योग्य राजा से तय कर दी । और स्वय अपने गुरु के साथ जंगल मे जाकर तप करने का निर्णय लिया।

यह सब देख नर्तकी ने सोचा की मेरे इस दोहे ने इतने लोगो का मन परिवर्तित किया है इसलिए मै भी आज से नर्तकी की जिंदगी नहीं जियूँगी ।

   कहानी का निष्कर्ष:

यह कहानी हमे सिखाती है कभी भी हमे किसी काम के लिए जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए जो होना है वह समय पर हो जायेगा । किसी चीज के के लालच मे कोई अघन्य अपराध ना करे । ताकि हमारे ऊपर कलंक ना लगे । 

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