बुरी संगत: जीवन की अदृश्य जंजीर
"बुरी संगत कोयले के समान है, जो गर्म हो तो हाथ जला देता है और ठंडा हो तो काला कर देता है।"
.
यह कहावत केवल एक विचार नहीं, बल्कि एक गहरा जीवन-सत्य है। जीवन में हम जिनके संपर्क में आते हैं, वे न केवल हमारे विचारों को प्रभावित करते हैं, बल्कि हमारे भविष्य की दिशा भी तय करते हैं।
बुरी संगत का प्रभाव क्या होता है?
-
सोचने का तरीका बदल जाता है:
जब हम नकारात्मक सोच वाले लोगों के साथ रहते हैं, तो हमारा दृष्टिकोण भी नकारात्मक हो जाता है। धीरे-धीरे हम समस्याओं में अवसर देखने के बजाय, अवसरों में समस्याएं देखने लगते हैं। -
नैतिक पतन:
बुरी संगत अक्सर नैतिक मूल्यों को कमजोर करती है। चोरी, झूठ, आलस्य, नशा आदि आदतें ऐसे ही विकसित होती हैं। -
लक्ष्य से भटकाव:
जो लोग जीवन में किसी दिशा या उद्देश्य के बिना रहते हैं, वे दूसरों को भी अपने साथ भटकाव की ओर ले जाते हैं।
अच्छी संगत क्यों ज़रूरी है?
जैसे गुलाब के पास रहने से उसकी खुशबू आ जाती है, वैसे ही अच्छे विचारों वाले लोगों के साथ रहने से प्रेरणा और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
अच्छे लोग न सिर्फ आपकी सोच को उज्ज्वल बनाते हैं, बल्कि आपके आत्म-सम्मान को भी बढ़ाते हैं।
बुरी संगत से कैसे बचें?
-
अपनी संगत की समीक्षा करें:
क्या वे लोग आपको प्रेरित करते हैं या पीछे खींचते हैं? -
सीमाएं तय करें:
यदि आप पूरी तरह कट नहीं सकते, तो सीमित संपर्क रखें। -
नयी संगत बनाएं:
किताबें पढ़ें, प्रेरणादायक वीडियो देखें, और सकारात्मक समुदायों का हिस्सा बनें।
निष्कर्ष:
बुरी संगत धीरे-धीरे हमारे जीवन को भीतर से खोखला कर देती है, ठीक वैसे ही जैसे कोयला या तो जलाता है या काला कर देता है।
इसलिए सही संगति का चुनाव ही जीवन की सबसे बड़ी बुद्धिमानी है।


0 टिप्पणियाँ