Hindi Motivational story - हनुमंत रामायण: भक्ति और निःस्वार्थता की अद्भुत गाथा"

एक बार महर्षि वाल्मीकि ने रामायण लिखने के बाद नारद मुनि से उसकी प्रशंसा की अपेक्षा की, लेकिन नारद जी ने बताया कि हनुमान जी की लिखी "हनुमंत रामायण" इससे भी श्रेष्ठ है। यह सुनकर वाल्मीकि जी हनुमान जी की रामायण देखने गए। जब उन्होंने शिला पर लिखी हनुमंत रामायण पढ़ी, तो वे भावुक होकर रो पड़े क्योंकि वह रामायण प्रभु श्रीराम की भक्ति और प्रेम से परिपूर्ण थी।

Hindi Motivational story - हनुमंत रामायण: भक्ति और निःस्वार्थता की अद्भुत गाथा

Hindi Motivational story - हनुमंत रामायण: भक्ति और निःस्वार्थता की अद्भुत गाथा"


 जब रामायण को वाल्मिकी जी ने लिख दिया था तो उस समय नारद जी ने उन्हें रामायण को समर्पित कर दिया था कि आखिर वाल्मिकी जी ने रामायण किस प्रकार लिखी है।  नारद जी वाल्मिकी जी के रामायण देखने के बाद बोले कि आपने अच्छा तो लिखा है 


Hindi Motivational story - हनुमंत रामायण: भक्ति और निःस्वार्थता की अद्भुत गाथा


लेकिन जो रामायण हनुमान जी ने लिखा है जिसका नाम हनुमंत रामायण है उसके आगे तो ये रामायण कुछ भी अच्छी है।  इतना कहकर नारद मुनि चले गए।  

Hindi Motivational story - हनुमंत रामायण: भक्ति और निःस्वार्थता की अद्भुत गाथा


 जी सोचने लगे कि आखिर हनुमान जी किस प्रकार की रामायण को लिखते हैं कि मेरा लिखा हुआ रामायण कुछ भी नहीं है।  वाल्मिकी जी हनुमान जी के लिखा हुआ रामायण देखा हनुमान जी के पास गए।  हनुमान जी प्रणाम कीजिये।  वाल्मिकी जी ने कहा कि आपने जो रामायण लिखा है उसे मैं देखना चाहता हूं।  


Hindi Motivational story - हनुमंत रामायण: भक्ति और निःस्वार्थता की अद्भुत गाथा

 हनुमान  जी बोले कि शिला पर लिखा हुआ है जाकर पढ़ लीजिये।  वाल्मिकी जी हमें शिला के पास गए जहां हनुमान जी ने हनुमत रामायण लिखी थी।  वाल्मिकी जी बढ़े ध्यान से हनुमत रामायण पढ़ने लगे।  पढ़ते पढ़ते रोने लगे.  हनुमान जी वाल्मिकी जी को रोटा देख हैरान हो गए।  हनुमान जी सोचने लगे कि आखिर मेरे हनुमत रामायण में क्या पढ़कर वाल्मिकी जी रोने लगे हैं।  हनुमान जी वाल्मिकी जी के नजदिक गए और रोने का करण पूछा।  तो वाल्मिकी जी ने कहा कि आपने हनुमत रामायण इतना अच्छा लिखा है कि इसके आगे मेरा लिखा हुआ रामायण कुछ भी नहीं है।  इसके आगे तो मेरा लिखा हुआ रामायण कोई पढ़ेगा ही नहीं।  


Hindi Motivational story - हनुमंत रामायण: भक्ति और निःस्वार्थता की अद्भुत गाथा

    हनुमान   ने कहा कि बस इतनी सी बात पर रो रहे हैं।  हनुमान जी एक कंधे पे वाल्मिकी जी को एक कंधे पे हमें शिला को लेकर समुंदर के किनारे लग गए और जिस शिला पर रामायण लिखा था उसे समुंदर में बा हा दिया।  वाल्मिकी जी ने पूछा कि इसे क्यों छोड़ दिया।  हनुमान जी कहते हैं मैं अपने प्रभु राम के सुमिरन के लिए इस रामायण को लिखता था लेकिन आप तो विश्व में प्रसिद्ध होने के लिए रामायण लिखते हैं।  मैं तो केवल प्रभु राम जी की भक्ति चाहता हूं और कुछ भी नहीं।

Hindi Motivational story - हनुमंत रामायण: भक्ति और निःस्वार्थता की अद्भुत गाथा

वाल्मीकि जी हनुमान जी के इस कार्य से बहुत प्रभावित हुए और बोले की इस संसार मे राम जी का आपसे बड़ा भक्त कोई नहीं है । आपने सिद्ध कर दिया की कोई भी कार्य निस्वार्थ भाव से करना चाहिए । सबको केवल अपने कार्य के अनुरूप कार्य करना चाहिए । उस कार्य मे जितना बल होगा उतना फल आपको देकर जायेगा । हनुमान जी आपके अंदर ना कोई लालच है । और ना हि अहंकार है । इस लिए मै आपको सत सत नमन करता हुन ।


कहानी का निष्कर्ष

इस कथा से यह शिक्षा मिलती है कि सच्ची भक्ति और समर्पण किसी भी प्रकार की प्रसिद्धि या मान-सम्मान से बढ़कर होती है। हनुमान जी ने अपनी रामायण केवल प्रभु श्रीराम की भक्ति के लिए लिखी थी, जबकि वाल्मीकि जी ने उसे संसार में प्रचारित करने के लिए लिखा। हनुमान जी ने यह दिखाया कि उनका प्रेम और भक्ति केवल प्रभु राम के प्रति है, न कि किसी worldly recognition (सांसारिक मान्यता) के लिए।

यह कथा हमें यह भी सिखाती है कि कोई भी कार्य करने का मुख्य उद्देश्य प्रसिद्धि नहीं, बल्कि सच्चे मन से समर्पण और प्रेम होना चाहिए। निःस्वार्थ भाव से किया गया कार्य ही सबसे श्रेष्ठ होता है।

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती हैं:

  1. सच्ची भक्ति निःस्वार्थ होती है – हनुमान जी ने रामायण केवल प्रभु श्रीराम की भक्ति के लिए लिखी थी, न कि प्रसिद्धि पाने के लिए। इससे हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची भक्ति और प्रेम में किसी प्रकार की स्वार्थपूर्ण भावना नहीं होनी चाहिए।

  2. प्रसिद्धि से अधिक महत्वपूर्ण समर्पण है – वाल्मीकि जी को चिंता थी कि हनुमान जी की रामायण के आगे उनकी रामायण महत्वहीन हो जाएगी, लेकिन हनुमान जी ने यह सिद्ध किया कि वे केवल प्रभु की भक्ति में लीन हैं और उन्हें प्रसिद्धि की कोई लालसा नहीं है।

  3. सत्य और धर्म की महानता – हनुमान जी का कार्य हमें यह सिखाता है कि ईमानदारी और सत्यनिष्ठा से किया गया कार्य ही सर्वोत्तम होता है, भले ही उसे कोई पहचाने या न पहचाने।

  4. अहंकार से बचना चाहिए – कभी-कभी इंसान अपने ज्ञान या कार्य को सबसे श्रेष्ठ समझने लगता है, लेकिन हनुमान जी की भक्ति यह सिखाती है कि विनम्रता और त्याग ही सच्ची महानता की पहचान है।

  5. त्याग और सेवा ही सच्ची भक्ति है – हनुमान जी ने अपनी लिखी रामायण को बिना किसी मोह के समुद्र में प्रवाहित कर दिया, क्योंकि उनके लिए प्रभु राम की भक्ति ही सबसे बड़ी चीज थी। इससे हमें यह सीख मिलती है कि सच्चा प्रेम और भक्ति किसी भी तरह के स्वार्थ या दिखावे से मुक्त होती है।

हमें यह कहानी क्यों पढ़नी चाहिए?

  1. निःस्वार्थ भक्ति की प्रेरणा मिलती है – यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति में किसी प्रकार का स्वार्थ नहीं होना चाहिए। हनुमान जी ने रामायण केवल प्रभु श्रीराम की भक्ति के लिए लिखी, न कि प्रसिद्धि के लिए।

  2. अहंकार से बचने की सीख मिलती है – वाल्मीकि जी को लगा कि उनकी रामायण सबसे श्रेष्ठ है, लेकिन जब उन्होंने हनुमान जी की रामायण देखी, तो उन्हें अपनी सीमाओं का एहसास हुआ। इससे हमें सिखने को मिलता है कि हमें कभी भी अपने ज्ञान या कार्य पर अहंकार नहीं करना चाहिए।

  3. सेवा और त्याग का महत्व समझ आता है – हनुमान जी ने बिना किसी मोह के अपनी लिखी रामायण को समुद्र में प्रवाहित कर दिया। यह हमें सिखाता है कि सच्चा ज्ञान और भक्ति त्याग और सेवा में निहित होते हैं।

  4. सच्ची भक्ति प्रसिद्धि से ऊपर होती है – इस कहानी से हमें यह संदेश मिलता है कि किसी भी कार्य को प्रसिद्धि या दिखावे के लिए नहीं, बल्कि सच्चे मन और श्रद्धा से करना चाहिए।

  5. धर्म और समर्पण की सीख मिलती है – यह कथा हमें सिखाती है कि अपने जीवन में धर्म, सत्य और भक्ति का पालन करना सबसे महत्वपूर्ण है।

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