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कर्म आपके पास आएगा: एक प्रेरणादायक कहानी

 कर्म आपके पास आएगा: एक प्रेरणादायक कहानी

हम जो भी कर्म करते हैं, वह कभी न कभी हमारे जीवन में लौटकर आता है। यही जीवन का नियम है। इस तथ्य को एक अद्भुत कहानी के माध्यम से समझते हैं।



 


कहानी: राजा, और बुढ़ी औरत की

बहुत समय पहले की बात है, विजयगढ़ नामक राज्य का एक राजा, विक्रम, अपनी न्यायप्रियता और दयालुता के लिए प्रसिद्ध था। वह हमेशा अपने राज्य के लोगों की भलाई के बारे में सोचता था और यह सुनिश्चित करता था कि राज्य में कोई भी भूखा न रहे। एक दिन, राजा जंगल में शिकार पर निकला, लेकिन वह अपने साथियों से बिछड़ गया।



वह जंगल में भटक रहा था और भूख-प्यास से कमजोर हो गया था। काफी देर बाद उसे एक छोटी झोपड़ी दिखाई दी, जहाँ एक बूढ़ी औरत रहती थी। वह बहुत गरीब थी, लेकिन फिर भी उसने राजा को बिना किसी संकोच के पानी और सूखी रोटी दी। राजा उसकी उदारता से अत्यंत प्रभावित हुआ, लेकिन उसने अपनी पहचान उजागर नहीं की और आभार व्यक्त कर वहाँ से चला गया।

कुछ वर्षों बाद, राज्य यंकर अकाल पड़ा। खेत सूख गए, नदियाँ सूखने लगीं और लोग भूख से तड़पने लगे। वह बूढ़ी औरत भी इस अकाल से प्रभावित हुई और अपनी झोपड़ी छोड़कर एक आश्रय की तलाश में निकल पड़ी। आखिरकार, वह राजमहल के द्वार पर पहुँची। उसने महल के द्वारपालों से भोजन और पानी की याचना की, लेकिन किसी ने उसकी सहायता नहीं की।

उसी समय राजा विक्रम महल के आंगन में टहल रहा था। उसने बूढ़ी औरत को देखा और उसे तुरंत पहचान लिया। राजा ने अपने सेवकों को बुलाकर उस बूढ़ी औरत को महल के अंदर लाने का आदेश दिया। उसने उसे उचित भोजन कराया और रहने के लिए एक सुंदर घर प्रदान किया। राजा ने पूरे राज्य में भी घोषणा की कि कोई भी भूखा नहीं रहेगा और अकाल से प्रभावित लोगों के लिए भंडार खोल दिए जाएँगे।

कुछ समय बाद, जब बूढ़ी औरत अपने नए घर में रह रही थी, तो एक अजनबी यात्री वहाँ आया। वह व्यक्ति किसी साधारण यात्री की तरह दिखता था, लेकिन वास्तव में वह देवता इंद्र थे, जो राजा की उदारता की परीक्षा लेने आए थे। उन्होंने राजा से कहा, "हे राजन, तुमने बिना किसी स्वार्थ के इस स्त्री की सहायता की है। मैं तुम्हें आशीर्वाद देता हूँ कि तुम्हारा राज्य सदा समृद्ध रहेगा और यहाँ कभी अकाल नहीं पड़ेगा।"




इंद्रदेव के आशीर्वाद से अगले ही दिन राज्य में मूसलधार बारिश हुई। खेत फिर से हरे-भरे हो गए, नदियाँ भर गईं और राज्य में समृद्धि लौट आई। राजा विक्रम और बूढ़ी औरत दोनों ने मिलकर इस वरदान का आनंद लिया।

सीख:

यह कहानी हमें सिखाती है कि हमारे द्वारा किए गए अच्छे कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाते। जब हम बिना स्वार्थ के किसी की सहायता करते हैं, तो ब्रह्मांड हमें उसके बदले में बहुत कुछ लौटाता है। इसलिए, हमेशा अच्छे कर्म करें, क्योंकि कर्म निश्चित रूप से आपके पास लौटकर आएगा और आपको जीवन में सफलता और समृद्धि दिलाएगा।

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