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कर्मो का हिसाब

 कर्मों का हिसाब: जीवन का अटल सत्य








जीवन के इस अनमोल सफर में, हमारे द्वारा किए गए कर्म ही हमारे भविष्य की दिशा निर्धारित करते हैं। जैसा कि श्रीमद्भगवद्गीता में कहा गया है, "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन" – अर्थात, हमारा अधिकार केवल कर्म करने में है, उसके फल में नहीं। हमारे कर्मों का फल हमें अवश्य मिलता है, चाहे वह इस जन्म में हो या अगले जन्म में।

कर्मों का प्रभाव: एक प्रेरक कथा

गौतम बुद्ध के समय की एक कथा है। रामू और श्यामू दो भाई थे। रामू सदैव अच्छे कर्म करता, दूसरों की मदद करता, जबकि श्यामू स्वार्थी और दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाला था। एक दिन, श्यामू ने रामू को धोखे से नदी में डुबोने की योजना बनाई, लेकिन रामू की बुद्धिमानी से वह बच गया। अंततः, श्यामू के बुरे कर्मों का फल उसे मिला, और उसे अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा। यह कथा हमें सिखाती है कि हमारे कर्मों का फल हमें अवश्य मिलता ह

कर्मों का लेखा-जोखा: एक और दृष्टांत

एक अस्पताल में एक गंभीर मरीज आया। डॉक्टर ने उसकी निःस्वार्थ सेवा की और उससे कोई शुल्क नहीं लिया। जब मरीज ठीक होकर जाने लगा, तो डॉक्टर ने उसे बिना किसी बिल के विदा किया। यह कहानी दर्शाती है कि निःस्वार्थ सेवा और अच्छे कर्मों का फल हमें किसी न किसी रूप में अवश्य मिलता है।


निष्कर्ष

जीवन में हमें सदैव यह स्मरण रखना चाहिए कि हमारे कर्म ही हमारे भविष्य का निर्माण करते हैं। इसलिए, हर कदम सोच-समझकर उठाएं, क्योंकि "जैसा बोओगे, वैसा ही काटोगे"।

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